मंथन | एक बिचार-3

আত্ম বিবেচনা একটি পর্যালোচনা Self consideration | A view

जीवन में कई बार हम अपनी जरूरतों के लिए दूसरों से दोस्ती कर लेते हैं। फिर शायद किसी कारण से हम अपने हितों के लिए सौदेबाजी में एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। लेकिन जीवन अपनी गति से चलता है। दोस्ती फिरसे बरकरार रहता है, शायद रिश्ते में दरार एक समय का बिचार हो सकता हैं लेकिन स्पॉनटेनोस नहीं हो सकता । ज रुर कभी या किसी रिश्ते में सौदेबाजी करने से हमारा वजूद खत्म हो जाता है। फिर भी लोग ऐसे ही रहते हैं। आपको शाश्वत मोहक जीवन के आलिंगन से कोई दूर नहीं रख सकता। मंथन | एक बिचार a view…

कोविड-19 स्थिति के बाद अपनों का दर्द लोगों को बार-बार रुला रहा है। लोग कोशिश करने पर भी रिश्तेदारों को खोने का दर्द नहीं भूल पा रहे हैं । उनके सबसे करीबी, सबसे प्यारे लोग, एक-एक करके उनसे दूर हो गए । पल भर में सारी खुशी गम में बदल गई। सच है, दुनिया फिरसे आबाद हो सकती है, लेकिन इंसान के मन में अपनो को खोने का दर्द कभी नहीं मिटेगा।

मानव जीवन

में प्रेम का उदय बहुत ही गुप्त रहता है। मनुष्य कभी नहीं समझ सकता कि वह जिसे पसंद करता है, और अचानक उसके दिल में कब जड़ें जमा लेता है। यह स्वर्गीय आनंद की अनुभूति है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना बहुत कठिन है। लोग अपने मन में अपने ही प्यार के भरोसे रहना पसन्द करते हैं। वैसे तो मानव जीवन का बसंत एक बार ही आता है लेकिन उसका प्रभाव जीवन भर बना रहता है।

समय या परिस्थितियों के प्रभाव के कारण, लोग इस तरह से बदल जाते हैं कि लोगों को अब डरने की कोई बात नहीं है। डर की चीज लोगों के लिए तब तक काम करती है जब तक कि लोग वास्तविकता का सामना नहीं कर लेते। जब लोग वास्तविकता का सामना करते हैं, तो लोगों के मन में डर नहीं रह जाता है। उसे हम अनुभव भी कह सकते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि यह दुनिया और उसके लोग और भी रहस्योमयी हैं।

जैसे गर्म

मरुस्थल में पानी नहीं होता, वैसे ही दुनिया की सभी समस्याएं मानव अनुभव या अस्तित्व के लिए बहुत छोटी हैं। लेकिन अकसर समस्या इंसान के लिए पहाड़ बन जाती है, फिर धीरे-धीरे वह खाई बॉन जाती हैं I और कभी कभी इंसानों के अस्तित्व भी विलीन हो जाती है।

संसार की सभी समस्याओं पर विजय पाकर, असंभव को संभव कर मनुष्य कुछ नया खोजने में अपना नया अस्तित्व बनाता है। लोग कभी भी रुकना नहीं चाहते। यह ऐसा है मानो मनुष्य सृष्टि और धंश के बीच दीवार की तरह खड़ा रहता हो। यही मानव अस्तित्व की खोज और सफलता है।

मानव जीवन में संघर्ष का क्षण बहुत कठिन होता है। तमाम कोशिशों के बाद भी लोग संघर्ष के क्षण से बाहर नहीं निकल पाते हैं, चाहे वह संघर्ष धरती पर अस्तित्व के लिए हो या अपने अस्तित्व के विस्तार के लिए। परिस्थितियाँ हमें आँख बंद करके बहुत कुछ सहने को विवश करती हैं। विरोध कभी-कभी लाभदायी भी है और कभी-कभी विरोध अपने आप में एक प्रश्न के रूप में वापस आ जाता है। फिर संघर्ष शुरू की सुरुवात होती हैं ।

चाहे वह चर्चा हो, समाचार हो या विरोध, यह मानव जीवन में सहज आत्म-साक्षात्कार है और शायद कुछ नया खोजने का प्रयास है। इसलिए किसी भी विरोध को नीचा दिखाने की जरूरत नहीं है। विरोध का हमेशा सम्मान करना चाहिए। अगर कोई विरोध को नज़रअंदाज करता है तो विरोध एक दिन अपने आप में एक सवाल बन जाएगा, हमारे सारे रास्ते बंद कर अपने आप सामने खड़ा हो जाएगा। तब कोई भी समाधान नहीं ढूंढ पाएगा। यह प्रकृति का बहुत ही सरल और व्यावहारिक नियम है।

मंथन | एक बिचार

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